दिल्ली हिंसा में हुआ चौंकाने वाला खुलासा, एक सप्ताह पहले ही ट्रैक्टरों में भरकर मंगवाए गए थे पत्थर*इससे साबित होता है के पूरा पहले से ही योजना के तहत किया गया है उन लोगों की बुद्धि देखीये लोग घरों में सफाई करते हैं रास्ते के रोडे को भी बगल हटाते हैं परंतु जिनकी बुद्धि पर ही पत्थर पड़ गे हो उन्हें कोई क्या समझा सकता है वह तो घरों में जैसे बुद्धि में कबाड़ भरा हुआ है उनकी वैसे ही घरों में रोडे भरे

*दिल्ली हिंसा में हुआ चौंकाने वाला खुलासा, एक सप्ताह पहले ही ट्रैक्टरों में भरकर मंगवाए गए थे पत्थर*इससे साबित होता है के पूरा पहले से ही योजना के तहत किया गया है उन लोगों की बुद्धि देखीये लोग घरों में सफाई करते हैं रास्ते के रोडे को भी बगल हटाते हैं परंतु जिनकी बुद्धि पर ही पत्थर पड़ गे हो उन्हें कोई क्या समझा सकता है वह तो घरों में जैसे बुद्धि में कबाड़ भरा हुआ है उनकी वैसे ही घरों में रोडे भरे



हिंसा के लिए बोरियों में पत्थर रखकर छतों पर पहुंचाने के लिए ट्रैक्टरों की मदद से भट्ठों से ईंट मंगाकर उसके कई टुकड़े किए गए थे। हिंसाग्रस्त मुस्तफाबाद, करावल नगर, चमन पार्क, शिव विहार सहित अन्य इलाकों में हिंसा के एक सप्ताह पहले से ही ट्रैक्टरों पर लदे ईंटों की आवाजाही बढ़ गई थी। 


जिनके घर पर यह ईंट रखी जा रही थी उनका तर्क था कि मकान के निर्माण कार्य के लिए यह ईंटे मंगाए गए थे। जबकि जांच में सामने आया है कि इन ईंटों को ही तोड़कर उसे दंगे में इस्तेमाल करने के लिए लाया गया था।



मुस्तफाबाद की हर गली में ज्यादातर मकान के बाहर ईंटों का ढेर लगा हुआ है। जबकि जिन मकानों के सामने यह ईंट पड़े हैं वहां कोई निर्माण कार्य भी नहीं हो रहा है। अचानक ईंट के यह ढेर आधे हो गए, जिसका जवाब गली में रहने वाले लोगों के पास नहीं है। 


कुछ ऐसा ही करावल नगर का भी है, जहां हिंसा के एक सप्ताह पहले से ही ट्रैक्टरों से लदकर ईंट निर्माण कार्य बताकर मंगवाये जा रहे थे। बताया जा रहा है कि इन ईंटों के छोटे-छोटे टुकड़े कर बोरे में भरे गए थे। इन बोरों के छतों से बरामद होने के बाद साफ जाहिर होता है कि ईंट भट्ठे से मंगवाये गए ईंटों को किन कामों में इस्तेमाल लाया गया है। 


*वहीं पुलिस भी गाजियाबाद के ईंट भट्ठे मालिकों के संपर्क में है। पुलिस जानकारी जुटा रही है कि हिंसा के एक सप्ताह पहले किन-किन लोगों ने ईंटें खरीदी थी।*


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