लोगों के सामने मुश्किलें और गहराती..!!* *महंगाई के चिंताजनक दौर के साथ खर्चों में कटौती के बीच यह बढ़ोतरी?* *बेलगाम महंगाई,क्या सरकार की लापरवाही से भरी नीतियों और फैसलों का नतीजा..

*लोगों के सामने मुश्किलें और गहराती..!!*


*महंगाई के चिंताजनक दौर के साथ खर्चों में कटौती के बीच यह बढ़ोतरी?*


*बेलगाम महंगाई,क्या सरकार की लापरवाही से भरी नीतियों और फैसलों का नतीजा..!!*



बाजार में रोजमर्रा के इस्तेमाल की वस्तुओं की खुदरा कीमतें पहले ही आम लोगों के लिए एक बड़ी परेशानी का सबब बनी हुई हैं। ऐसे में लोगों के भीतर उम्मीद इस बात की बनी हुई थी कि सरकार कोई ऐसा कदम उठाएगी, जिससे उनके सामने महंगाई की चुनौतियां कम हो सकें। लेकिन विडंबना यह है कि वस्तुओं की कीमतों पर लगाम लगाने या उसे कम करने के बजाय ऐसे फैसले लिए जा रहे हैं, जिससे लोगों के सामने मुश्किलें और गहराती जा रही हैं। बुधवार को सरकारी पेट्रोलियम विपणन कंपनियों ने बिना सबसिडी वाले रसोई गैस के प्रति सिलेंडर की कीमतों में एक सौ चौवालीस रुपए पचास पैसे की बढ़ोतरी कर दी।गौरतलब है कि इन रसोई गैस सिलेडरों की कीमत में ताजा बढ़ोतरी के साथ बीते महज सात महीने के भीतर अब तक कुल दो सौ इक्कीस रुपए का इजाफा किया जा चुका है। हालांकि यह इजाफा बिना सबसिडी वाले सिलेंडरों पर किया गया है और सरकार ने सबसिडी की रकम दोगुनी बढ़ा कर रियायती दर पर सिलेंडरों के रसोई गैस उपभोक्ताओं का खयाल रखने का दावा किया है। लेकिन सच यह है कि महंगाई के चिंताजनक दौर के साथ खर्चों में कटौती के बीच यह बढ़ोतरी लोगों की जेब पर एक अतिरिक्त बोझ ही साबित होगी।यह छिपा नहीं है कि पिछले कुछ सालों से लगातार देश भर में अलग-अलग स्तरों पर रोजाना इस्तेमाल में आने वाली वस्तुओं की महंगाई ने लोगों का जीना किस हद तक मुहाल कर दिया है। महंगाई की दर को नियंत्रित करने की कोशिश में भारतीय रिजर्व बैंक तक की ओर से समय-समय पर कदम उठाए जाते हैं। लेकिन बाजार में वस्तुओं की थोक और खुदरा कीमतों पर जिनकी नजर है, वे जानते हैं कि जरूरत के सामान की कीमतें किस स्तर पर पहुंच चुकी हैं और कैसे वे लोगों की पहुंच से दूर होते जा रहे हैं। ऐसे में रसोई गैस की कीमतों में इतना ज्यादा इजाफा करने को शायद ही कोई सही ठहराए! हालांकि कहने को पेट्रोलियम कंपनियां यह दलील दे रही हैं कि यह बढ़ोतरी अंतरराष्ट्रीय बाजार के रुख की वजह से बढ़ने वाले दबाव की वजह से की गई है, लेकिन महंगाई की मार से बढ़ती परेशानी के दौर में क्या इससे बचने के सारे विकल्प खत्म हो गए थे?
ऐसा नहीं है कि महंगाई आज अचानक ही कोई नई चिंता बन गई है। इस मसले पर विशेषज्ञ लगातार यह सवाल उठा रहे हैं कि बेलगाम महंगाई दरअसल सरकार की लापरवाही से भरी नीतियों और फैसलों का नतीजा हैं। लेकिन उस पर विचार करने के बजाय सरकार ने बाजार को एक तरह से खुला छोड़ दिया है और आम लोगों की परेशानियों की शायद उसे कोई फिक्र नहीं है। अर्थव्यवस्था आज जिस दौर से गुजर रही है, उसे संभालने की फिक्र पहली जरूरत है। बीते कुछ सालों के दौरान रोजगार के मोर्चे पर एक जटिल संकट छाया हुआ है।
जीएसटी की वजह से छोटे या बड़े उद्योग तक उत्पादन में कटौती करने पर मजबूर हैं। यानी कारोबार में छाई मंदी और रोजगार के अभाव की वजह से लोगों की क्रय-शक्ति काफी कमजोर हो चुकी है और इसका व्यापक असर व्याापार और उद्योग-जगत पर पड़ रहा है। ऐसे में महंगाई के बोझ में इजाफा लोगों से लेकर आर्थिक सेहत पर कैसा असर डालेगी, अंदाजा लगाया जा सकता है। यह भी समझना मुश्किल नहीं है कि रसोई गैस सिलेंडरों की कीमत में भारी-भरकम वृद्धि उन परिवारों के लिए कैसा बोझ साबित होगा, जो सबसिडी के दायरे से किन्हीं कारणों से बाहर हैं या फिर जिन्होंने सरकार की अपील पर इस सुविधा का त्याग किया था!


Comments
Popular posts
चार मिले 64 खिले 20 रहे कर जोड प्रेमी सज्जन जब मिले खिल गऐ सात करोड़ यह दोहा एक ज्ञानवर्धक पहेली है इसे समझने के लिए पूरा पढ़ें देखें इसका मतलब क्या है
मत चूको चौहान*पृथ्वीराज चौहान की अंतिम क्षणों में जो गौरव गाथा लिखी थी उसे बता रहे हैं एक लेख के द्वारा मोहम्मद गौरी को कैसे मारा था बसंत पंचमी वाले दिन पढ़े जरूर वीर शिरोमणि पृथ्वीराज चौहान वसन्त पंचमी का शौर्य *चार बांस, चौबीस गज, अंगुल अष्ठ प्रमाण!* *ता उपर सुल्तान है, चूको मत चौहान
Image
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सभी जिला अधिकारियों के व्हाट्सएप नंबर दिए जा रहे हैं जिस पर अपने सीधी शिकायत की जा सकती है देवेंद्र चौहान
शामली पालिका सफाई नायक जितेंद्र चंद्र की जांच को ज्ञापन अरविंद झंझोट
Image
चौथी अर्थव्यवस्था होठो पर लाली पेट खाली बातों में दलाली, हवा सिंह सांगवान
Image