पुलिस की नौकरी बड़ी पेचीदा होती जा रही है पुलिसवाला हर किसी को बचाने का प्रयास करता है परंतु फिर भी उसी पर आरोप लगाए जाते हैं कैसा समाज होता जा रहा है कौन लोग लखनऊ में फिर से विधानसभा के आगे हुआ आत्मदाह का प्रयास..
पुलिज़ वालों ने जिंदा और सही सलामत बचा लिया उसे जो अपने बच्चे के साथ जलने आया था.. आने वाला आत्मदाही लखनऊ के सरोजनीनगर का बताया जा रहा..
सवाल ये है कि फैशन बनते जा रहे इस आत्मदाह परम्परा में वो कौन है जो कैमरा चला कर वीडियो बनाता है ?
वो कौन है जो बच्चे , बूढ़े या जवान को धू धू जलते देख कर भी खामोशी से वीडियोग्राफी में व्यस्त रहता है और कैमरा इतना पास ले जाता है कि जलने वाले की चीखें डिजिटल आवाज़ में सुनाई दें..
सवाल ये भी है कि क्या उस कैमरामैन को आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी नहीं माना जा सकता ? जबकि आत्महत्या अथवा आत्मदाह करने वाला उसी कैमरे में बनने वाले अपने ही वीडियो के लिए अक्सर आग लगता है ?
किसी को गाली देने वाला अपराधी है तो किसी को शानदार वीडियो बनाने का लालच दे कर मौत की आग लगाने की सलाह देने वाला पत्रकार कैसे ?
यदि यही वीडियोग्राफी बन्द हो जाय तो यकीनन आत्मदाह 90 % तत्काल बन्द हो जाएंगे. अर्थात 90% आत्महत्या अथवा आत्मदाह के दोषी मौत का वो वीडियो बनाते कैमरामैन हैं.
बाकी आत्महत्या करने वाले जलने जाएं, कटने जाएं या लटकने जाएं, पुलिस हर बार पूरी कोशिश करेगी उन्हें बचाने की.. जैसे इस बार लखनऊ विधानसभा व कुछ समय पहले बिहार विधानसभा के आगे बचा लिया था..
आपकी रक्षा उनका धर्म है भले ही आपने उन्हें अधर्मी से ले कर न जाने क्या - 2 बोल रखा हो..