*यदि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिल जाता है तो क्या बदल जायेगा?* वर्तमान में दिल्ली एक ऐसे राज्य के रूप में काम कर रहा है जिसके पास एक पूरा कंकाल तंत्र तो मौजूद है लेकिन उसे इस कंकाल तंत्र को जीवित रखने या चलाने के लिए केंद्र सरकार से खून उधार लेना पड़ता है.

*यदि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिल जाता है तो क्या बदल जायेगा?*


वर्तमान में दिल्ली एक ऐसे राज्य के रूप में काम कर रहा है जिसके पास एक पूरा कंकाल तंत्र तो मौजूद है लेकिन उसे इस कंकाल तंत्र को जीवित रखने या चलाने के लिए केंद्र सरकार से खून उधार लेना पड़ता है.


वर्तमान केजरीवाल सरकार ने पूर्ण राज्य की मांग की दिशा में कदम बढ़ाते हुए “The State of Delhi Bill 2016” ड्राफ्ट का मसौदा पेश किया है जिसे इसे सार्वजनिक कर लोगों के सुझाव मांगे गये हैं. अब जानते है कि यदि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिल जाता है तो क्या-क्या बदल जायेगा👇



1. दिल्ली सरकार का यह ड्राफ्ट, एनसीटी के क्षेत्रीय या राजनीतिक क्षेत्राधिकार में कोई भी परिवर्तन प्रस्तावित नहीं करता है। नई दिल्ली नगर पालिका क्षेत्र; संसद के विधायी नियंत्रण और राष्ट्रपति के कार्यकारी नियंत्रण के तहत रहेगी जो कि राज्यपाल के माध्यम से कार्य करेगा अर्थात दिल्ली में उपराज्यपाल की जगह राज्यपाल की नियुक्ति की जाएगी।


2. वर्तमान में दिल्ली के पास अपना “लोक सेवा आयोग” नही है इसलिए दिल्ली सरकार का ड्राफ्ट यूपीएससी में दिल्ली के अपने इस्तेमाल के लिए एक कैडर चाहता है। जिसमें अधिकारियों की नियुक्ति दिल्ली सरकार अपने हिसाब से कर सकेगी और नियुक्तियों में राज्यपाल का हस्तक्षेप ख़त्म हो जायेगा जैसा कि पूर्ण दर्जा प्राप्त राज्यों में होता है।


3. दिल्ली को अपनी पुलिस और अन्य सेवाओं के लिए भुगतान करना होगा जिनका भुगतान वर्तमान में केंद्र सरकार करती है। प्रदेश को चलाने के लिए प्रशासनिक खर्च कई गुना बढ़ जायेगा जिसकी भरपाई करने के लिए दिल्ली सरकार को कई करों को बढ़ाना पड़ेगा और इसका अंतिम बोझ लोगों की जेब पर पड़ेगा।


4. वर्तमान में दिल्ली में ईंधन और अन्य वस्तुओं पर वैट की दर बेंगलुरू, मुंबई और चेन्नई जैसे शहरों की तुलना में कम है। लेकिन जब दिल्ली सरकार को अपने खर्चों का इंतजाम खुद ही करना पड़ेगा तो उसे इन वस्तुओं पर कर की दर बढ़ानी पड़ेगी जिससे यहाँ पर महंगाई बढ़ जाएगी।


5. दिल्ली को अन्य राज्यों से बिजली और पानी खरीदना जारी रखना पड़ेगा क्योंकि यहाँ जगह नहीं होने के कारण सरकार बिजली संयंत्र स्थापित नहीं कर सकती है और अगर नवीकरणीय और स्वच्छ ऊर्जा का मन बनाया तो ऐसा हो नहीं पायेगा क्योंकि ये दोनों साधन बहुत महंगे हैं।
इसलिए अभी जो केजरीवाल सरकार फ्री बिजली और पानी देती है, उसे भूलना होगा. साथ ही अभी दिल्ली में बिजली की दरें जो कि पूरे देश में सबसे कम है उन्हें भी बढ़ाना पड़ सकता है।


6. यदि दिल्ली पूर्ण राज्य का दर्जा हासिल कर लेता है तो उसे वित्त आयोग की तरफ पैसा मिलने लगेगा जैसा कि अभी अन्य राज्यों को मिलता है।


इस प्रकार स्पष्ट है कि यदि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिल जाता है तो इस राज्य का मुख्यमंत्री भी अन्य राज्यों की तरह अपने विवेक से निर्णय ले सकेगा और उसे हर निर्णय के लिए उपराज्यपाल से अनुमति लेने की जरुरत नहीं होगी। इसके साथ ही जहाँ केंद्र से मिलने वाली वित्तीय मदद बंद हो जाएगी तो इससे राज्य की वित्तीय स्थिति पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि उसे वित्त आयोग की तरफ पैसा मिलने लगेगा।


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