दारुल उलूम मरकज को मजहबी रंग देना कहना ठीक नहीं है जब समझदार आदमी ऐसी हरकत करता है तो क्या किया जाए इतनी बड़ी गलती के बाद भी दारू लम उनकी पीठ ठोकने के लिए पीछे खड़ा हो गया है क्या यह ठीक है जब पूरा देश एक साथ है तो कुछ चंद लोग इस तरीके की हरकत क्यों कर रहे हैं जो पूरे देश के लिए नुकसानदेह हो जाए मान्यवर ध्यान से सोचो यह किसी 1 कौम का मामला नहीं है पूरा देश ही इसके चपेट में आ सकता है अगर ऐसे लोग नादानी करते रहे तो


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