इतिहास का एक पृष्ठ
सन 2014 से पहले तक इतिहास का वो दौर था जब 'हम भारत के लोग' बहुत दुखी थे क्योंकि सरकार लगातार 10 सालों से देश का कोला हड़प कर गई थी कोल घोटाला उस समय की सरकार 1GB डाटा जो 2GB की रफ्तार से चलता था साडे 300 400 रुपए में जनता को खरीदना पड़ता था उतने ही 1GB 4जी डाटा की आज की बात मात्र 5 से ₹10 के बीच है यानी 2जी घोटाला ऐसे ही अनंत घोटालों के कारण जनता दुखी थी पूरी स्थिति जनता के प्रतिकूल और उस समय के शासकों के अनुकूल थी आज उसका बिल्कुल उल्टा है आज आज जनता के अनुकूल स्थिति है और सत्ता पर बैठे शीर्ष नेतृत्व के लिए प्रतिकूल है परंतु सत्ता पर बैठा हुआ यह महामानव जरा भी विचलित नहीं है ना विपक्ष से ना प्रकृति से ना आतंकवादियों से और बुला सामने आ रही परिस्थितियों से अब आपने जो लिखा है मैंने उसमें यह थोड़ा जोड़ा है पूरा पढ़ने के बाद जनता खुद समझेगी कौन सही है कौन गलत
एक तरफ तो फैक्ट्रियों मे काम चल रहा था और कामगार काम से दुखी था पगार समय से मिलती थी
सरकारी बाबू की तन्ख्वाह समय समय पर आती थी
वेतन पे समय से लगता था
हर छ महीने साल भर मे 10% तक के मंहगाई भत्ते मिल रहे थे
नौकरियां खुली थीं अमीर गरीब सवर्ण दलित सबके लिये
यूपीएससी था
एस एस सी था
रेलवे थी
बैंक की नौकरियां थीं।
प्राईवेट सेक्टर उफान पर था आईटी सेक्टर में बूम था
मल्टी नेशनल कम्पनियां आ रहीं थी जाब दे रहीं थीं।
हर छोटे बडे शहर मे ऑडी और जगुआर जैसी कारों के शो रूम खुल रहे थे
प्रॉपर्टी डीलर बूम था ।
नोयडा से लेकर पुणे बंगलौर तक, कम्पनी की बूम थी
कलकत्ता से बम्बई तक फ्लैटों की मारा-मारी रहती थी
मतलब हर तरफ हर जगह अथाह दुख ही दुख पसरा हुआ था। लोग नौकरी मिलने से, तन्ख्वाह पेन्शन और मंहगाई भत्ता मिलने से दुखी थे। प्राईवेट सेक्टर आई टी सेक्टर मे मिलने वाले लाखो के पैकेज से लोग दुखी थे।कारों से ,प्रॉपर्टी से लोग दुखी थे।
फिर क्या था भगवान से भारत की जनता का यह दुख देखा न गया।
तब उन्होंने ',,,, अच्छे दिन,,,,,' का एक वेदमंत्र लेकर भारत की पवित्र भूमि पर अवतार लिया।
भये प्रकट कृपाला दीन दयाला,
जुमालेबाज फेकू महाराज विष्णु का रूप ने अवतार लिया
जनता ने कहा - कीजे प्रभु लीला अति प्रियशीला।
प्रभु ने चमत्कार दिखाने आरम्भ किये।जनता चमत्कृत हो कर देखती रही। तमाम संवैधानिक संस्थाये जो नेहरू नाम के एक क्रूर शासक ने बनायीं थीं उनका ध्वंस किया और उन्हें संविधान, कानून और नैतिकता के पंजे से मुक्त किया।
रिजर्व बैंक नाम की एक ऐसी ही जगह थी जो पैसों पर किसी नाग की भाँति कुन्डली मार कर बैठी रहती थी ।प्रभु ने उसका तमाम पैसा,जिसे जनता अपना समझने की भूल करती थी, तमाम प्रयासों से बाहर निकाल कर उसे पैसों के भार से मुक्त किया।प्रजा को इन सब कार्यवाहियों से बडा आनन्द मिला और करतल ध्वनि से जनता ने आभार व्यक्त किया और भगवान के गुणगान मे लग गयी।
प्रभु ने ऐसे अनेक लोकोपकारी काम किये।
जैसे सरकारी नौकरियां खत्म करने का प्रयास,
बिना यूपीएससी सीधा उप सचिव सचिव बनाना
मंहगाई भत्ता रोकना,
पहले सरकारी कर्मचारी वेतन आयोगों मे 30 से 40% तक की वृद्धि से दुखी रहते थे
फिर सातवे वेतन आयोग मे जब मात्र 13% की वृद्धि ही मिली तब जा के कहीं सरकारी कर्मचारियों को संतुष्टि मिली
वरना मनमोहन नामक शासक तो कर्मचारियों को तनख्वाह मे बढोतरी और मंहगाई भत्ता की मद मे पैसे दे-देकर बिगाड रहा था।
प्रभु जब अपनी लीला मे व्यस्त थे
तभी दिन रात चीन को गाली देने वाले प्रभु को चीन के हि तो बनाए जीव कोरोना प्रभु की मदद आ गया
प्रभु ने सारे अस्त्र नाग फास (ताली थाली शंख डीजे)
ब्रम्हा अस्त्र (दिया बाती बम पटाखे) सब चला दिया
अब सारे शहर गाँव गली कूचे मे ताला लगा दिया गया।लोगों को तालों मे बंद करके आराम करने का आदेश हो गया।अब सर्वत्र शान्ति थी।
घर घर में, टीवी पर रामायण पाठ और दर्शन होने लगा।
थोड़े दिन बाद जब बाहर रह रहे लोगो के खाने पीने का समान खतम हुए तो लोग रेलगाड़ी और हवाई जहाज जैसी विदेशी म्लेच्छो के साधन छोडकर लोग पैदल ही सैकडों हजारो मील की यात्रा पर निकल पडे
तो उनको खाना पीना का इंतजाम नहीं हो पाया तो बदले में जनता को लूटने के लिए शराब की दुकानें खोल दी गई
पैदल चलते हुए भूख प्यास से कई मौते हुए
ट्रेन घर लेे जाने के बजाय कुछ को ऊपर लेकर चली गई फैक्ट्रिया, दुकाने सब बंद कर दी गयी
कामगारों को नौकरियों से निजात दे दी गयी
सबको संविधान, सीबीआई, सुप्रीम कोर्ट, जज,आरबीआई को गुलामो और घोडो की तरह मुँह पर पट्टा बाधना अनिवार्य किया गया ।
जो लोग 2014 के पहले के तमाम लौकिक सुखो से दुखी थे उनमे प्रसन्नता का सागर हिलोरे मारने लगा
सर्वत्र रामराज छा गया
यदि प्रभु के सारे कृत्य वर्णन किये जाये तो सारे भारत की भूमि और सारी नदियों का जल भी लिखने के लिये कम पड जाये।
थोडा लिखा गया है आपको बहुत समझना है और लोगो को समझाना है
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