सर्वोच्च न्यायालय की अवहेलना करते बोरवेल खोदने वाले ठेकेदार और विभाग भुगत रहे हैं मासूम बच्चे और उनके परिजन यह कब तक चलेगा मेहरबान खान

*नियमों की अवहेलना करने वाले मालिकों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की आवश्यकता..!* *दूसरों की लापरवाही का खमियाजा आखिर कोई परिवार क्यों भुगते!* कुछ राज्यों में खुले आम बोरवेल खोदने का काम चलता हैं ओर सावधानीया तक नही बर्ती जाती हैं जिससे हमेशा हादसा होता रहता है जब कि सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट आदेश दिया था कि ‘किसी भी व्यक्ति को बोरवेल खोदने से पंद्रह दिन पूर्व उस जिले के जिलाधिकारी या संबंधित अधिकारी को सूचना देनी होगी, बोरवेल के चारों तरफ कंटीले तार से घेरना होगा और बोरवेल के सुराख को तीस सेंटीमीटर मोटे ढक्कन से पूर्णतया ढकना होगा, ताकि उसमें कोई बच्चा न गिरे’। लेकिन इस आदेश के बावजूद देश में इस नियम की जम कर अवहेलना हो रही है, जिससे कितने ही छोटे बच्चों की खुले बोरवेल में गिर कर मौत हो चुकी है और आए दिन हो रही है।इसके अतिरिक्त इस लापरवाही का खमियाजा सेना, पुलिस के जवानों, इंजीनियरों और मजदूरों के हजारों श्रम दिवस बर्बाद होने के अलावे लाखों रुपए उन बच्चों को बचाने में की गई खुदाई और अन्य आवश्यक उपकरणों आदि के उपयोग में अनावश्यक खर्च हो जाते हैं, सिर्फ इसलिए कि अपने स्तर पर तो लोग सावधानी नहीं ही बरतते हैं, सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों पर अलम भी जरूरी नहीं समझते और न ही प्रशासन यह सुनिश्चित करा पाता है। बोरवेल आमतौर पर काफी गहरा होता है और उसके खुला छोड़े जाने पर उसमें छोटे बच्चों के गिरने की संभावना हमेशा बनी रहती है। सवाल है कि इस तरह की लापरवाही को घोर अपराधिक कृत्य क्यों नहीं माना जाए! कम से कम उस बोरवेल के बड़े छेद को चारपाई, तखत (लकड़ी की चौकी) आदि को उल्टा कर ढक कर या बांस की जाली बना कर उससे ठीक से ढक कर बच्चों के गिरने से निरापद तो बनाया ही जा सकता है।हमारे विचार से सुप्रीम कोर्ट के नियमों की अवहेलना करने वाले बोरवेल के मालिकों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। मसलन, बोलवेल में गिरे बच्चे की जानबूझ कर हत्या का आपराधिक मुकदमा चला कर सख्त सजा देनी चाहिए। इस तरह के सख्त कानून बना कर इसका परिपालन भी सुनिश्चित होना चाहिए, तभी इस स्थिति में सुधार हो सकता है।दूसरों की लापरवाही का खमियाजा आखिर कोई परिवार अपने मासूम की जान गंवा कर क्यों भुगते!


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