आंदोलनरत 15 लोगों को एनआईए का नोटिस

 नोटिस के अनुसार जिस मामले में इनसे पूछताछ की जानी है, वह 15 दिसंबर 2020 को आईपीसी की धारा 120(बी), 124(ए), 153(ए) और 153 (बी) और यूएपीए की धारा 13,17,18 18(बी) और 20 के तहत मामला दर्ज किया गया था.





व्हाट्सएप के ज़रिए आए हैं नोटिस

किसान नेता बलदेव सिंह सिरसा ने उन्हें एनआईए का नोटिस मिलने की पुष्टि की है.


उन्होंने कहा, "हमें नोटिस आए हैं, नोटिस भी इतने शॉर्ट टाइम के हैं. कल नोटिस आया है और इसे व्हास्टएप पर भेजा गया है. यह भी पता नहीं है कि ये सच में एजेंसी की तरफ़ से आया है या किसी और ने भेजा है, क्योंकि आजकल फोन पर बहुत कुछ हो रहा है."



वीडियो कैप्शन,

किसान आंदोलनः ट्रैक्टर रैली के लिए साजो सामान कैसे जुटा रहे किसान?


सिरसा ने बताया, "अगर ये नोटिस एजेंसी ने भेजा है तो इसे डाक के ज़रिए लिखित तौर पर भेजा जाना चाहिए. एजेंसियों के जगह-जगह सेल होते हैं, वे हमें लिखित नोटिस भेजें. लेकिन उन्होंने व्हाट्सएप पर नोटिस भेजा है और कल 17 तारीख को पेश होने के लिए कहा है."


सिरसा ने आगे बताया, "मेरी नातिन की शादी है, मैं उसकी खरीदारी के लिए आया हूं, मेरे पास 7 फरवरी से पहले एजेंसी के सामने पेश होने का समय नहीं है. मैंने आज उन्हें एक चिट्ठी अपने वकील के ज़रिए भेजी है."


किसान आंदोलन

इमेज स्रोत,DEEP SIDHU/FB

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किन्हें भेजा गया है नोटिस

बलदेव सिंह सिरसा (किसान नेता)


दीप सिद्धू, फिल्म अभिनेता और किसान समर्थक


मनदीप सिद्धू (दीप सिद्धू के भाई)


बलतेज पन्नू (पत्रकार,पटियाला)


जसवीर सिंह (पत्रकार, श्री मुक्तसर साहिब)


परमजीत सिंह अकाली (अमृतसर)


नोबलजीत सिंह (होशियारपुर)


जंग सिंह (लुधियाना)


प्रदीप सिंह (लुधियाना)


सुरिंदर सिंह ठिक्रीवाला (बरनाला)


पलविंदर सिंह (अमरकोट)


जज इंद्रपाल सिंह (लुधियाना)


रणजीत सिंह दमदमी टक्साल (अमृतसर)


करनैल सिंह दसूहा (होशियारपुर)


तेजिंदर सिंह, पत्रकार अकाल चैनल


नोटिस पर प्रतिक्रिया

किसान संगठनों ने एनआईए द्वारा भेजे जा रहे नोटिस को किसान आंदोलन को दबाने की केंद्र सरकार की साजिश करार दिया है.


सिंघु बॉर्डर पर किसानों के समूह को संबोधित करते हुए किसान नेता सुरजीत सिंह फूल ने कहा कि किसान आंदोलन और इसके समर्थकों को दबाने के लिए यह सब किया जा रहा है.


इसी दौरान पंजाब कांग्रेस के प्रवक्ता और विधायक राजकुमार वेरका ने कहा, "भले ही सीबीआई हो, ईडी या फिर एनआईए. इन संवैधानिक एजेंसियों को केंद्र सरकार अपनी कठपुतली बनाना चाहती है. इनसे ग़लत काम करवाना चाहती है. ऐसा कर वे किसानों को डरा रहे हैं, धमका रहे हैं, उन्हें खालिस्तानी, नक्सलवादी और आतंकवादी कह रहे हैं."


किसानों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा ने एक प्रेस नोट जारी कर कहा है, "कल सरकार के साथ वार्ता के दौरान भी एनआईए द्वारा आंदोलनकारियों को भेजे जा रहे नोटिसों के बारे में शिकायत की गई थी. मंत्रियो ने इस मुद्दे पर विचार करने का आश्वासन दिया था. इसके बावजूद आज भी आंदोलनकारियों को नोटिस मिलना सरकार की बेशर्मी बताता है. सयुंक्त किसान मोर्चा इन नोटिसों की निंदा करता है. आगामी दिनों में इन नोटिसों की प्रतिक्रिया स्वरूप कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी

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