कविता गुरु एक शिल्पकार है रचनाकार विजय सिंह बलिया यूपी

 कविता

शीर्षक - "गुरु : एक शिल्पकार"

रचनाकार - विजय सिंह  बलिया उतरप्रदेश । 


लक्ष्यविहीन सा मैं था,

दिशाविहीन से पथ पर!

गतिविहीन से कालचक्र के,

मायावी मस्तक पर!!

              

               चंचल मन में व्यतिक्रम था,

               आशाओं का उद्गम था!

               घने तिमिर के प्रादुर्भाव में,

               ठोकर खाता जीवन था!!


हुनर की बारीकियां भी, 

ना किस्मत बदल सकीं!

ना तो सीरत बदली,

ना नीयत बदल सकी!!


               जब भी मिली पराजय,

               मायूस हो गए!

               पर ना पैतरा बदला,

               ना सूरत बदल सकी!! 


मंथन होना है समुद्र का,

पर बलिदान करेगा कौन!

महादेव बन, नीलकंठ सा,

विष का पान करेगा कौन!!


               सबको अमृत की आशा है,

               मृत्युंजय सी अभिलाषा है! 

               स्वर्ण भस्म, कुंदन बनने को,

                तप कर आग बनेगा कौन!! 


नव प्रभात की आस में,

विजय के विश्वास में!

जो मांगा था नियति से,

वो मिला गुरु के पास में!!


               गुरु से साक्षात्कार हुआ,

               जीवन का उद्धार हुआ!

               ज्ञान योग से मानव मन,

               बैतरणी के पार हुआ!! 


गुरु होते हैं शिल्पकार,

करते जीवन का परिष्कार!

करता विजय नमन इन्हें,

जिसे करें सहर्ष स्वीकार!!

Popular posts
मत चूको चौहान*पृथ्वीराज चौहान की अंतिम क्षणों में जो गौरव गाथा लिखी थी उसे बता रहे हैं एक लेख के द्वारा मोहम्मद गौरी को कैसे मारा था बसंत पंचमी वाले दिन पढ़े जरूर वीर शिरोमणि पृथ्वीराज चौहान वसन्त पंचमी का शौर्य *चार बांस, चौबीस गज, अंगुल अष्ठ प्रमाण!* *ता उपर सुल्तान है, चूको मत चौहान
Image
चार मिले 64 खिले 20 रहे कर जोड प्रेमी सज्जन जब मिले खिल गऐ सात करोड़ यह दोहा एक ज्ञानवर्धक पहेली है इसे समझने के लिए पूरा पढ़ें देखें इसका मतलब क्या है
एक वैध की सत्य कहानी पर आधारित जो कुदरत पर भरोसा करता है वह कुदरत उसे कभी निराश नहीं होने देता मेहरबान खान कांधला द्वारा भगवान पर भरोसा कहानी जरूर पढ़ें
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सभी जिला अधिकारियों के व्हाट्सएप नंबर दिए जा रहे हैं जिस पर अपने सीधी शिकायत की जा सकती है देवेंद्र चौहान
भाई के लिए बहन या गर्लफ्रेंड स्पेशल कोन सच्ची कहानी पूजा सिंह
Image