आलेख
कार्तिक मास में किए जाने वाले व्रत और तारा भोजन का विधान
*- लेखिका ✍️गरिमा सिंह अजमेर राजस्थान*
नारायण तारायन : कार्तिक प्रारंभ होने के पहले दिन तारों का अर्ध्य देकर भोजन करें। कार्तिक के दूसरे दिन दोहपर को भोजन करें, तीसरे दिन निराहार व्रत रखें। इस तरह से पूरे कार्तिक मास इस क्रम को पूरा करें। व्रत उद्यापन में चांदी का तारा या 33 पेड़े ब्राह्मण को दान करें। ये व्रत नारायण तारायन कहलाता है।
तारा भोजन : कार्तिक मास में तारा देखकर भोजन करना तारा करें। रोज दिन भर निराहार रह कर तारा देखने के बाद व्रत खोला जाता है। ये व्रत ही तारा भोजन कहलाता है। बाद में ब्राह्मण को भोजन कराकर चांदी का तारा व 33 पेड़ा दान में देना चाहिए।
छोटी सांकली : इस व्रत में २ दिन भोजन और एक दिन उपवास रखने का विधान होता है। इस क्रम को पूरे मास किया जाता है। उद्यापन के समय सोने या चांदी की सांकली भगवान के मन्दिर में चढ़ा कर ब्राह्मणों को भोजन खिलाया जाता है।
एकातर व्रत : इस व्रत में एक दिन भोजन और एक दिन उपवास पूरे मास किया जाता है। अंत में ब्राह्मणों को भोजन खिलाया जाता है और दक्षिणा दी जाती है।
चंद्रायन व्रत : यह व्रत कार्तिक मास प्रारंभ की पूर्णिमा से कार्तिक की पूर्णमासी तक किया जाता है। इसमें पूर्णमासी को उपवास ,एकम को एक ग्रास , दिवितिया को दो ग्रास और इस तरह प्रतिदिन क्रम बढ़ाकर अमावस्या तक पन्द्रह ग्रास खाने होते हैं। व्रत में आप हलवा बना कर खा सकते हैं। वहीं अमावस्या के दूसरे दिन से एक ग्रास कम करते हुए क्रम में इसे ग्रहण करना होता है। उद्यापन में हवन कराकर ब्राह्मण को जोड़े में भोजन खिलाया जाता है।
तुलसी नारायण व्रत : इस व्रत को आंवला नवमी से एकादशी तक निराहार किया जाता है। इस व्रत में भगवान विष्णु के समक्ष अखंड ज्योति जलाने, ग्यारस के दिन तुलसी विवाह करने और बारस के दिन ब्राह्मण भोज कराया जाता है।
अलूना पावंभर खाना : कार्तिक में पूरे मास या पांच दिन या तीन दिन तक बिना नमक का भोजन करना होता है। प्रसाद को भगवान को भोग लगाकर खाया जाता है और लड्डू में रूपये रख कर गुप्त दान करना चाहिए।
छोटी पंचतीर्थया व्रत : एकादशी से लेकर पूनम तक रोज भगवान का भजन-कीर्तन करना और जितनी देर हो सके व्रत पालन करना चाहिए।
पंचतीर्थया : एकादशी, ग्यारस, बारस, तेरस, चौदस और पूनम के दिन निराहार व्रत कर ब्राह्मण से हवन कराया जाता है।
कार्तिक मास में आप चाहें जो भी व्रत का चयन करें, लेकिन उद्यापन करते समय जोड़े में ब्राह्मणों को भोजन कराएं और वृद्ध महिला को साड़ी और सुहागन महिला को सुहाग की सामग्री जरूर दें।