अखिलेश यादव को मास्टर विजय सिंह ने दिखाया आईना ,
* मास्टर विजय सिंह करहल विधानसभा में पर्चे बांटे ,
* अखिलेश के कार्यकर्ताओं को अन्याय का एहसास कराया
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करहल : - 26 साल से भ्रष्टाचार व भू माफियाओं के विरुद्ध गांव चौसाना जनपद शामली की 4 हजार बीघा सार्वजनिक भूमि से जनहित मे अवैध कब्जे हटाने की मांग को लेकर मुजफ्फरनगर में दुनिया के सबसे लंबे धरने पर बैठे मास्टर विजय सिंह ने मैनपुरी की करहल विधानसभा क्षेत्र मे मतदाताओं व सपा कार्यकर्ताओं मे पर्चे बांटे तथा उन्हें 26 साल के आंदोलन की कहानी बताई । मास्टर विजय सिंह ने पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जी के विरुद्ध पर्चे बांटने के कारण बताया कि मैंने सन 2012 में मुजफ्फरनगर से लखनऊ मुख्यमंत्री निवास तक 600 किलोमीटर पदयात्रा कर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाकात कर भू माफियाओं के विरुद्ध कार्यवाही की मांग की थी, जिस पर उन्होंने निष्पक्ष जांच कार्यवाही करने हेतु शासन स्तर पर उच्च स्तरीय कमेटी गठित करने का आदेश दिया था शासनादेश जारी हुआ । कुछ समय के बाद आरोपी अवैध कब्जाधारी सपा पार्टी में आ गए थे राजनीतिक दबाव व भ्रष्टाचार के चलते कोई जांच व कार्यवाही नहीं हुई , जांच कमेटी मखोल व आय का साधन बन कर रह गई थी। मास्टर विजय सिंह ने मतदाताओं से आग्रह कि अपने नेताओं को अपने वादों, घोषणा पत्रों व अपने आदेशों पर इमानदारी से अमल करने के लिए दबाव बनाएं तथा अपनी पार्टी में माफिया , गलत छवि , भ्रष्ट व अपराधी लोगों का विरोध करें । मेरे आंदोलन की करहल में चर्चा हुई तथा वर्तमान योगी सरकार की भू माफियाओं के विरुद्ध कार्यवाही के दावे व पूर्व अखिलेश सरकार की कानून व्यवस्था मायावती सरकार पर सवाल उठे , लोगों ने 26 साल के आंदोलन को सुनकर हैरानी जताई। मास्टर विजय सिंह 15 ,16,17 फरवरी 3 दिन अखिलेश के गृह क्षेत्र सफैई करहल मे मतदाताओं के साथ बिताए और अपने दर्द का एहसास कराया । मास्टर विजय सिंह योगी सरकार में लखनऊ में अवैध हिरासत व अंडरवियर सुखाने का बेहूदा मुकदमे से व्यथित होकर यूपी चुनाव में अपना दर्द बताने के लिए मैदान में आए प्रस्तावको के प्रभावित होने पर वे आदित्यनाथ योगी के खिलाफ पर्चा नहीं भर सके . योगी आदित्यनाथ व अखिलेश यादव के विरुद्ध पर्चे बांटे ।
गौरतलब है अपने गांव की चौसाना की 4 हजार बीघा सार्वजनिक कृषि भूमि से अवैध कब्जे को हटाने को लेकर जनहित मे 26 फरवरी 1996 को मुजफ्फरनगर डीएम कार्यालय पर धरना प्रारंभ किया था । उनका धरना दुनिया का सबसे लंबा धरना बन गया जो लिम्का बुक एशिया बुक इंडिया बुक आदि सभी रिकॉर्ड बुक को में सबसे लंबे धरने के रूप में दर्ज किया गया है