पाकिस्तान चुगल खोर शेख रशीद ने बिगाड़ा इमरान का खेल देखे कैसे मेहरबान खान की रिपोर्ट

 PAK में फौज के प्यादे ने दिया खान को धोखा:इमरान के एक मंत्री ने कार में चुपचाप उनका फोन रिकॉर्ड किया, कुछ देर में ये आर्मी चीफ के पास पहुंच  गया

इस्लामाबाद

पाकिस्तान में सरकार उसी पार्टी की बनती है, जिसे ताकतवर फौज की सरपरस्ती हासिल होती है। सरकार बन भी जाए तो वो चल तभी पाती है जब तक फौज उससे खुश रहती है। किसी न किसी वक्त आर्मी सरकार से खफा हो ही जाती है। नतीजतन सरकार गिर जाती है। इन बातों को साबित करने के लिए सिर्फ एक मिसाल काफी है। और वो ये कि पाकिस्तान की कोई भी चुनी हुई सरकार अब तक पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी। इमरान भी कार्यकाल पूरा नहीं कर सके। नेशनल असेंबली भंग होने के बाद चुनाव तक वे केवल कार्यवाहक प्रधानमंत्री रहेगे।


माना ये जा रहा है कि इमरान सरकार की विदाई भी स्क्रिप्टेड है। इसकी वजह भी फौज की नाराजगी ही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, फरवरी में एक दिन कार में इमरान आर्मी और आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा के बारे में बहकी-बहकी बातें कर रहे थे। उनके साथ मौजूद एक करीबी मंत्री ने इन्हें रिकॉर्ड कर लिया। चंद मिनट बाद ये कॉल रिकॉर्डिंग जनरल बाजवा के पास पहुंच गई। इसके बाद इमरान सरकार का खेल खत्म। हालांकि, तरीका थोड़ा सभ्य अपनाया गया। चलिए, जानते हैं ये माजरा क्या था।


शेख रशीद खुद को लाल हवेली का बादशाह कहते हैं। वो फौज के बेहद करीबी हैं और रावलपिंडी की आलीशान लाल हवेली में रहते हैं। (फाइल)

शेख रशीद खुद को लाल हवेली का बादशाह कहते हैं। वो फौज के बेहद करीबी हैं और रावलपिंडी की आलीशान लाल हवेली में रहते हैं। (फाइल)

किस मंत्री ने खेल बिगाड़ा

पाकिस्तान के सीनियर जर्नलिस्ट जफर अब्बास नकवी के मुताबिक, मुल्क के बदतर हालात के बावजूद शायद आर्मी चीफ बाजवा इमरान खान की नाकामियों को झेल जाते, लेकिन होम मिनिस्टर शेख रशीद ने इमरान का खेल बिगाड़ दिया। वैसे बाजवा और इमरान के बीच दूरियां पिछले साल अक्टूबर में बढ़ीं थीं। इमरान चाहते थे कि ISI के उस वक्त के चीफ जनरल फैज हमीद का ट्रांसफर पेशावर न किया जाए। वजह यह थी कि इमरान को सत्ता तक पहुंचाने में फैज और बाजवा की सबसे अहम भूमिका थी। 155 सीटों की अल्पमत वाली सरकार को 179 के बहुमत तक भी हमीद ने ही पहुंचाया था। बाद में बाजवा को तीन साल का एक्सटेंशन इमरान ने देकर अहसान का बदला चुकाया। हालांकि, फैज के ट्रांसफर को रोककर इमरान और बाजवा आमने-सामने हो गए।

तो आखिर हुआ क्या था

जफर के मुताबिक, घटना फरवरी की है। तब विपक्षी गठबंधन पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (PDM) ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ कर दिया था कि वो सरकार के खिलाफ जल्द नो कॉन्फिडेंस मोशन लाएंगे। इमरान खान के खिलाफ 2021 में एक बार पहले भी अविश्वास प्रस्ताव आ चुका था और फौज की सरपरस्ती की वजह से उन्होंने आसानी से पार पा लिया था। इस बार भी वो बेफिक्र थे।

जफर कहते हैं- इमरान और शेख रशीद एक ही कार में बनीगाला (इमरान के घर) जा रहे थे। इसी दौरान किसी का फोन आया और इमरान सामने वाले शख्स से कई मुद्दों पर बात करने लगे। इस दौरान फौज और जनरल बाजवा का जिक्र भी हुआ। इमरान ने कुछ बातें ऐसी कह दीं जो फौज और बाजवा के सख्त खिलाफ थीं। आरोप है कि ये बातें शेख रशीद ने रिकॉर्ड कर लीं और बाद में इन्हें जनरल बाजवा तक पहुंचा दिया। इसके कुछ वक्त बाद ही फौज ने न्यूट्रल होने का फैसला किया। यानी ये तय हो गया कि इमरान की सरकार अब और नहीं चलेगी।

उधर, विपक्ष और अवाम भी दबाव बना रहा था। नवाज शरीफ और उनकी बेटी मरियम ने तो खुलेआम इमरान के पीछे फौज का हाथ बताया। इससे फौज की बदनामी हो रही थी। रही सही कसर इमरान की हर मोर्चे पर नाकामियों ने पूरी कर दी।

कहा जाता है कि फौज ने दबाव डालकर शेख रशीद को इमरान कैबिनेट में शामिल कराया था। मकसद यह था कि रशीद सरकार की गोपनीय बातें बताते रहें। उन्होंने यही किया भी।

कहा जाता है कि फौज ने दबाव डालकर शेख रशीद को इमरान कैबिनेट में शामिल कराया था। मकसद यह था कि रशीद सरकार की गोपनीय बातें बताते रहें। उन्होंने यही किया भी।

‘रशीद को तो नौकर भी न रखूं’

आपको इमरान और शेख रशीद के रिश्तों का एक वीडियो सबूत जरूर देखना चाहिए। बात मई 2008 की है। इमरान और शेख रशीद एक टीवी बहस में आमने-सामने थे। रशीद के बारे में तो हमेशा से कहा जाता है कि मुल्क में सरकार किसी भी पार्टी की हो, लेकिन लाल हवेली वाले रशीद मिनिस्टर जरूर बनेंगे। वजह- रशीद फौज के मुंहलगे हैं। उन्हें फौज का प्यादा भी कहा जाता है। बहरहाल, टीवी बहस में इमरान से पूछा गया- अगर आपकी सरकार बनती तो क्या शेख रशीद को अपनी पार्टी में लेकर मंत्री बनाएंगे? इमरान ने रशीद के सामने ही कहा- इन्हें तो मैं अपना चपरासी भी न बनाऊं। सियासत में शायद जुबान की कोई अहमियत नहीं। रशीद पहले इमरान सरकार में रेलवे मिनिस्टर बने और अब होम मिनिस्टर हैं। अपोजिशन उन्हें ‘लोटा’ कहती है।

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