नदलेस की चमार का कुआं कहानी नेट परिचर्चा गोष्टी संपन्न



नदलेस ने की कहानी वाचन और परिचर्चा गोष्ठी 



         दिल्ली। नव दलित लेखक संघ, दिल्ली के तत्त्वावधान में कहानी वाचन और परिचाचर्चा गोष्ठी का ऑनलाइन आयोजन किया गया। कहानी वाचन और परिचर्चा गोष्ठी डा. खन्नाप्रसाद अमीन की कहानी 'चमार का कुआं ' पर केंद्रित रही। कहानी का प्रभावी वाचन डा. गीता कृष्णांगी ने किया। कहानी पर प्रो. दिलीप मेहरा ने विस्तार से विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि खन्नाप्रसाद अमीन कहानी लिखने में दक्ष हैं। दोस्त होने के नाते उनकी पत्नी के बाद मैं उनकी कहानियों का दूसरे नंबर का श्रोता रहता हूं। उनकी यह कहानी चमार का कुआं उनके हाल ही में प्रकाशित कहानी संग्रह भ्रमजाल में संकलित है। कहानी बेजोड़ और अपने उद्देश्य में सफल कहानी है। कहानी के यूं तो कई महत्त्वपूर्ण पक्ष हैं लेकिन उनमें ठाकुर संग्राम सिंह के हृदय परिवर्तन और उनकी पत्नी की जागरूकता विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण है। कहानी में ठाकुर और ठकुराइन द्वारा सोमा चमार के कुएं का पानी पिया जाना दर्शाता है कि सबसे पहले मनुष्य और उसका जिंदा रहना है। बाकी सब जातिवादि और धार्मिक आडंबर बाद की बात है। खन्नाप्रसाद अमीन मूलतः गुजराती भाषी हैं, इस नाते उन्हें हिंदी में कहानी लिखने में भाषा संबंधी कुछ चुनौतियों और परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है, बावजूद इसके, भाषा की यदि आंशिक त्रुटियों को छोड़ दें तो उनकी कहानी हिंदी की बेहतर कहानी बन पड़ती है। दलित साहित्य में और समाज में इस तरह की कहानियों का सामने आना जरूरी है ताकि भेदभाव मूलक भारतीय समाज में वांछित परिवर्तन लाया जा सके। इस संदर्भ में नव दलित लेखक संघ द्वारा कराई जा रही इस तरह की परिचर्चा गोष्ठी एक सार्थक पहल है। 

           कहानी पर हुमा खातून, अजय यतीश, डा. विजेंद्र प्रताप सिंह, आर डी गौतम, डा. पूनम तुषामड, मामचंद सागर, चितरंजन गोप लुकाटी, बंशीधर नाहरवाल आदि ने सारगर्भित टिप्पणियां की। टिप्पणियों में खन्नाप्रसाद अमीन की कहानी की भूरि भूरि प्रसंशा की गई। साथ ही उसके आलोचनात्मक पक्ष पर भी सारगर्भित विचार प्रस्तुत किए गए। कहानीकार डा. खन्नाप्रसाद अमीन ने कहा कि वे नदलेस और उसकी पूरी टीम के आभारी हैं कि उन्होंने मेरी कहानी पर केंद्रित परिचर्चा गोष्ठी का आयोजन किया। कहानी यथार्थ पर आधारित है और इस पर आए विचार समुचित हैं। गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे मदनलाल राज़ ने कहानी पर विस्तार से बात रखी। उन्होंने कहा की राजस्थान में भी कुछ ऐसे ही हालात देखने को मिलते हैं। पानी के संदर्भ में बरते जानी वाली छुआछूत के अलावा भी अनेक क्षेत्रों में दलितों के साथ भेदभाव बरता जाता है। इसलिए अमीन जी की तरह बाकी दलित रचनाकारों को भी इस ओर गभीर संज्ञान लेना चाहिए। धन्यवाद ज्ञापन में डा. अमित धर्मसिंह ने कहा कि गोष्ठी वास्तव में अपने उद्देश्य में सफल रही। एक तरफ जहां अन्य कहानिकारों ने उनकी कहानी पर गोष्ठियां रखने के संकेत दिए वहीं दूसरी ओर कुछ नए रचनाकारों ने भी भविष्य में कहानी लिखने की ओर इशारा किया। गोष्ठी का संचालन डा. अमिता मेहरोलिया ने किया। वक्ताओं का परिचय क्रमश: हुमा खातून और महिपाल ने प्रस्तुत किया। गोष्ठी में यजवीर सिंह विद्रोही, डा. मनोरमा गौतम, सुरेश गाजीपुरी, अनिल कुमार गौतम, प्रियका हंस, रविन्द्र कौर, कांशीराम, डा. एल. सी. जैदिया, श्यामल बिहारी मेहतो, राकेश कुमार धनराज, डा. राजेंद्र परमार, सोमी सैन, ममता अंबेडकर, मनीष महावर, लोकेश कुमार, आश्वस्त, रवि प्रकाश, डा. एम एन गायकवाड, बृजपाल सहज, हतितोष मोहन, अनिल बिडनाल, प्रियंका गौतम, जलेश्वरी गेंदले, अंजली दुग्गल, डा. राजन तनवर, डा. अनिल कुमार, बिभाश कुमार, अनिला पटेल और विनोद सिल्ला आदि रचनाकार उपस्थित रहे।


हुमा खातून/सोमी सैन

प्रचार सचिव, नदलेस

98917 21121

28/12/2022

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