जिला शामली कैराना उन तहसील रेत माफिया सुप्रीम मनको की उड़ा रहा धज्जियां खनन व प्रशासनिक अधिकारीयो की अनदेखी करनाल मेरठ हाईवे पर रेत जमाखोरी के पहाड़ से प्रमाण कौन लेगा संज्ञान
जिला शामली ऊन कैराना तहसील क्षेत्र में रेत पट्टो की आड़ में खनन माफिया कर रहे हैं यमुना नदी का चीरहरण
- मामौर, मंडावर व नंगलाराई करनाल जमुना पुल आदि क्षेत्रो में एनजीटी के आदेशों की धज्जियां उड़ा रहे रेत माफिया रेत माफिया अवैध रूप से कर रहे हैं रेत की जमाखोरी

कैराना।ऊन तहसील क्षेत्र में रेत माफियाओं के हौसले बुलंद हैं।  पट्टे की आड़ में रेत माफिया रेत की जमाखोरी के साथ ही सुप्रीम गाइडलाइंस का  उल्लंघन और यमुना जी का चीरहरण जिसके चलते एनजीटी के आदेशों की खुली धज्जियां उड़ाई जा रही है। तथा भारी भरकम मशीनों से मामौर, मंडावर व नंगलाराई आदि स्थानो पर अवैैैध रेेेत का कारोबार धडल्ल्ले केेे साथ किया जा रहा है। खनन विभाग सहित शासन प्रशासन आंखें मुंदेे यह सब नजरा देख रहा है।
         वैसे तो सरकारी स्तर पर आवंटित किए जाने वाले रेत के पट्टों पर राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की गाइड लाइन के अनुरूप सूर्य उदय से सूर्यास्त तक ही खदान की अनुमति दी गई है, लेकिन रेत खनन माफियाओं की मनमानी यमुना नदी के अस्तित्व पर भारी पड़ती नजर आ रही है। कैराना तहसील क्षेत्र के गांव मामौर, मंडावर व नंगलाराई आदि में वैध पट्टे की आड़ में कुछ ऐसा ही खेल चल रहा है। माफियाओं ने तमाम नियम-शर्तों को ठेंगे पर रख दिया है और दिन-रात भारी भरकम मशीनों द्वारा यमुना नदी का सीना छलनी किया जा रहा है।
     गांव मामौर में रात के समय में खनन हो रहा है और रेत की चांदी काटी जा रही है। वहीं, भारी भरकम मशीनों जेसीबी व पोर्कलेन से यमुना नदी की जलधारा के अंदर से रेत निकाली जा रही है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि खनन माफिया कितने बेलगाम हो चुके हैं और उन्हें एनजीटी हो या प्रशासन, किसी कार्यवाही का कोई खौफ नहीं रहा है। खनन के काले कारोबार में जुटे माफिया यमुना नदी के अस्तित्व को मिटाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं और वें सरकार को प्रतिदिन भारी राजस्व की हानि भी पहुंचा रहे हैं।
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यमुना के गहरे कुंड मचाते हैं तबाही
नियमों को धता बताकर यमुना नदी से खनन करने वाले माफियाओं के कारनामे किसानों के लिए तबाही का सबब बनते हैं, क्योंकि माफिया यमुना नदी की बहती जलधारा के अंदर से भारी भरकम मशीनों जेसीबी व पोर्कलेन के माध्यम से खनन कर गहरे कुंड बना देते हैं और जब-तब पानी आता है, तो यमुना नदी में भूमि कटाव के कारण किसानों की फसलों को भारी नुकसान पहुंचता है। पूर्व में यह दंश किसान झेल चुके हैं। इसके अलावा यमुना नदी में हादसे की आशंका भी बनी रहती है। और बरसात के दिनों में क्षेत्र में बाढ़ की आशंका भी तटवर्ती बाशिंदों को सताने लगती है।
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धड़ल्ले से दौड रहे रेत के  ओवरलोड वाहन
 क्षेत्र में संचालित खनन प्वाइंट से खुलेआम रेत के ओवरलोड वाहनों को निकाला जा रहा है,जो सड़कों को तोड़ रहे हैं। दिन रात सड़कों पर दौड़ने वाले रेत के इन ओवरलोड वाहनों की ओर से शासन-प्रशासन व परिवहन विभाग के अधिकारियों ने नजरें फेर रखी हैं। ईमानदारी का ताज लगाए बैठे एआरटीओ शामली की आंखों से सामने ही ओवरलोड वाहन सड़कों पर फर्राटे भरते हैं,लेकिन उनके कानों पर जूं तक नहीं रेंगती है।
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