मेहरबान खान जबलपुर संस्कारधानी के संस्कारों के अनुरूप मानवतावादी भाई सतीश तिवारी जी ने एक मुस्लिम बहन जब हनुमानताल में डूब रही थी तब बिना किसी भेदभाव के छलांग लगाकर इस बहन को बचाया वो भी ऐसे दौर में ज़ब देश के प्रधानमंत्री कपड़े से लोगों का धर्म पहचानने की बात करते है मगर सैल्यूट करता हु तिवारी जी उन्होंने नकाब में भी मोहब्बत भरी नज़र से इंसानियत को देखा,, आज दावे कह सकता नफ़रत चाहे जितनी फैलाई जाए मगर बोलबाला हमेशा मोहब्बत ,इंसानियत , भाईचारे का रहेगा
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मेहरबान खान जबलपुर संस्कारधानी के संस्कारों के अनुरूप मानवतावादी भाई सतीश तिवारी जी ने एक मुस्लिम बहन जब हनुमानताल में डूब रही थी तब बिना किसी भेदभाव के छलांग लगाकर इस बहन को बचाया