पुलिस व हिंदू संगठनों के साथ साथ श्यामली को संप्रदायिक दंगे से बचाने के लिए सबसे बड़ी भूमिका श्यामली के पत्रकारों की रही

पुलिस व हिंदू संगठनों के साथ साथ श्यामली को संप्रदायिक दंगे से बचाने के लिए सबसे बड़ी भूमिका श्यामली के पत्रकारों की रही एक मोबाइल के गिरवी धरने के कारण कुछ हिंदू कुछ मुस्लिम जो नशेड़ी  थे उन सभी लोगों ने मात्र 1600 रूपे के लिऐ  शामली शहर को हिंदू-मुस्लिम आग में झोंकने का पूरा इंतजाम कर दिया था परंतु शामली कोतवाली की त्वरित कार्रवाई और आज शामली के पत्रकार भी धन्यवाद के पात्र हैं क्योंकि असल में पत्रकारों के पास में ऐसी सामग्री थी जिसका अगर वह इस्तेमाल कर लेते तो आज शामली निश्चित रूप में हिंदू मुस्लिम आग में झुलस रहा होता श्यामली पत्रकारों की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है इस मैटर में श्यामली के पत्रकारों ने बता दिया कि हम खालिस चटपटी खबरों को चलाने के लिए ही नहीं पत्रकारिता कर रहे समय आने पर हम समाज को बचाने का कार्य भी कर देते हैं और यह कार्य शामली के पत्रकारों ने कल के मैटर को देखकर सिद्ध कर दिया है एकमात्र शामली कोतवाल की तटस्थता और पत्रकारों ने शहर ओर समाज के हित को देखते हुए सब कुछ सामग्री उनके पास होने के बावजूद भी उन्होंने इस पूरे मामले में संयम बरता और पुलिस का पूरा सहयोग किया जिसके कारण आज श्यामली सुरक्षित और शांत है इसके लिए पुलिस के साथ-साथ सबसे अधिक जो बधाई के पात्र हैं वह श्यामली के पत्रकार ही है और बधाई ही क्या शामली की जनता को पत्रकारों को सभी को सम्मानित करना चाहिए हमारे जैसे को छोड़कर क्योंकि अगर हमारे पर वह सामग्री होती जो शामली के पत्रकारों के पास थी तो हम किसी भी सूरत में उसे छापे बिना नहीं रहते और वह समाज के हित मे नहीं होती समाज का हित वास्तव में श्यामली की पत्रकारों के व्यक्तिगत स्वार्थ त्याग ने का ही कारण है कि आज शामली शांत है आंखों देख ग्रुप की तरफ से शामली को दंगे से बचाने के लिए हम शामली के  पत्रकारों का तहे दिल से धन्यवाद करते हैं और साथ शामली की पुलिस का भी संपादक आंखों देखे अपराध मनोज पवार


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