सभी पत्रकार भाइयो हम सबके लिए एक मित्र ने मैसेज भेजा है।आप सभी पढ़े और इसकी गंभीरता को समझे:- पत्रकार किसको कहते हैं और कैसा होता है पत्रकार भ्रष्टाचार की  बलिवेदी पर चढ़ी हुई व्यस्था देखकर दुखी होता रहता है सोचता रहता है इस भ्रष्टाचार से समाज को कैसे छुटकारा मिले वह देखता है सड़क किनारे पीडब्ल्यूडी की जगह को घेरकर दुकान बनाने वाले एक भ्रष्टाचारी व्यापारी को एक भ्रष्टाचारियों का रिश्तेदार अधिकारी मोटी रकम लेकर पीडब्ल्यूडी की बात को झूठी करके 3 दिन में ही उसे सर्फी टिकट  दे देता है कि यह जगह व्यापारी की है 2 महीने पश्चात उसी व्यापारी को वही अधिकारी जिसने मोटी रकम खाकर उसे पीडब्ल्यूडी की जगह का मालिकाना हक दे दिया था उसी व्यापारी को वही अधिकारी कोरोनावायरस के काल में जनता के लिए मोटी रकम भेजी गई सरकार के द्वारा मात्र 20000 किट का ठेका 23 लाख में दे देता है और वह व्यापारी पूरे शहर में घूम के खराब माल देखता फिरता है कि मुझे 2000 किट देनी है सरकार को अंधेर कीर्ति चौपट राजा वाली कहावत ऐसी महामारी में भी सामने आ रही है परंतु इन भ्रष्टाचारी बिलाओ के गले में घंटी कोन बांधे।  ओर पत्रकार वहहोता है जो स्वयं  भूखा रहकर खबर तलाशता है की कहीं कोई भूखा तो नहीं सो रहा है और देखें कैसा कैसा होता हे पत्रकार

सभी पत्रकार भाइयो हम सबके लिए एक मित्र ने मैसेज भेजा है।आप सभी पढ़े और इसकी गंभीरता को समझे:-


पत्रकार किसको कहते हैं और कैसा होता है पत्रकार भ्रष्टाचार की  बलिवेदी पर चढ़ी हुई व्यस्था देखकर दुखी होता रहता है सोचता रहता है इस भ्रष्टाचार से समाज को कैसे छुटकारा मिले वह देखता है सड़क किनारे पीडब्ल्यूडी की जगह को घेरकर दुकान बनाने वाले एक भ्रष्टाचारी व्यापारी को एक भ्रष्टाचारियों का रिश्तेदार अधिकारी मोटी रकम लेकर पीडब्ल्यूडी की बात को झूठी करके 3 दिन में ही उसे सर्फी टिकट  दे देता है कि यह जगह व्यापारी की है 2 महीने पश्चात उसी व्यापारी को वही अधिकारी जिसने मोटी रकम खाकर उसे पीडब्ल्यूडी की जगह का मालिकाना हक दे दिया था उसी व्यापारी को वही अधिकारी कोरोनावायरस के काल में जनता के लिए मोटी रकम भेजी गई सरकार के द्वारा मात्र 20000 किट का ठेका 23 लाख में दे देता है और वह व्यापारी पूरे शहर में घूम के खराब माल देखता फिरता है कि मुझे 2000 किट देनी है सरकार को अंधेर कीर्ति चौपट राजा वाली कहावत ऐसी महामारी में भी सामने आ रही है परंतु इन भ्रष्टाचारी बिलाओ के गले में घंटी कोन बांधे।  ओर


पत्रकार वहहोता है जो स्वयं  भूखा रहकर खबर तलाशता है की कहीं कोई भूखा तो नहीं सो रहा है और देखें कैसा कैसा होता हे पत्रकार


पत्रकार वह होता है जो स्वयं प्यासा  रहकर खबर तलाशता है कि कहीं कोई कुआं तो नहीं सूख गया


पत्रकार वह होता है जो स्वयं, धूप में तप कर खबर तलाशता है कि कहीं कोई महिला या बच्ची के साथ हिंसा तो नहीं हुई या उन्हें मार तो नहीं दिया गया      


पत्रकार वह  है जो स्वयं सर्दी में ठिठुर कर खबर तलाशता हैं कि कही कोई नंगा तन तो नही कॉप रहा  हैं।।                         


पत्रकार वह होता हैं जो बरसात में निकल कर खबर तलाशता हैं ।कि कही कोई छत तो नही टपक रही हैं।           


पत्रकार वह है जो अपनी जान जोख़म में डालकर भी दूसरों तक खबर पहुंचाता है खुद को अंधेरे में रखकर भी दूसरों तक रोशनी पहुंचाता है पत्रकार उसको कहते हैं


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ना कलम बिकती हैं ,ना क़लमकार बिकता हैं। महंगाई के दौर में न कोई पत्रकार बिकता हैं लिखते लिखते हाथ लहू लुहान हो जाते है तब चंद पैसो में अखबार बिकता हैं ।


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