अमर सिंह जी भी हुवे स्वर्गीय दुनिया में सब चलम चली का मेला है आदमी आता भी अकेला है और जाता भी अकेला है पता नहीं फिर भी दुनिया में इतने पापड़ क्यों बेलता है