संपादकीय यह दुर्योधन रूपी हट किसानों को नहीं राहुल गांधी जी को करनी चाहिए

 


M जय जवान जय किसान भाई मेरे पर गुस्सा तो बहुत आएगा आप लोगों को क्योंकि मैं जो कहने जा रहा हूं वह आपके अनुकूल नहीं है इसलिए आप गुस्सा करोगे परंतु मैं फिर भी कहूंगा कुरुक्षेत्र के युद्ध की सारी बिसात बिछ चुकी थी परंतु भगवान श्री कृष्ण ने पांडूवो की सभा में आखिरी प्रयास करने शांति के लिए दुर्योधन के पास जा रहा हूं यह कहकर सब को चौंका दिया था भीम आग बबूला हो गया बोला अब इन बातों का औचित्य क्या है भगवान कृष्ण ने कहा हे भीम कुरुक्षेत्र में

जो  होने जा रहा है इतनी हिंसा अब से पहले कभी नहीं हुई और मेरे कंधे इतनी लाशों को ढोने के लिए पर्याप्त नहीं है तुम्हारे कंधे मजबूत हो सकते हैं तो निसंदेह मैं शांति के प्रयास के लिए नहीं जाऊंगा परंतु पांडव पक्ष में सतगुण संपन्न लोग रहते थे वे समझ गए और एक अंतिम प्रयास के लिए के युद्ध ना हो और बीच का कोई समाधान निकल जाए तो भगवान श्री कृष्ण को शांति दूत बनाकर दुर्योधन की सभा में भेजा भगवान श्रीकृष्ण  जानते थे युद्ध होकर रहेगा  परंतु वह दुनिया के सामने युद्ध के आरोप को अपने सिर लेना नहीं चाहते थे इसलिए वहां गए और भरी सभा में शांति के लिए 5 गांव मांग कर पूरी सभा को चौंका दिया परंतु हाए रे हठी दुर्योधन उस छलिया को जगत रूपी सरकार के स्वामी को डरा हुआ समझ गया और अभिमान में भरकर उस ब्रह्मांड रूपी सरकार को मैं युद्ध के बगैर 1 इंच भूमि भी नहीं दूंगा ऐसा अहंकार रूपी शब्द बोल कर आज तक पूरी दुनिया में कुरूर राक्षस और हंसी का पात्र बना हुआ है ऐसी ही स्थिति गंभीरता से देखने पर किसानों  की दिखाई पड़ रही है पहले किसान कहते थे के एमएसपी पर सरकार लिखित में गारंटी दे फिर कहने लगे सरकार एमएसपी पर कानून बनाएं अब उससे भी पलट गए और दुर्योधन रूपी हट पकड़ ली है के तीनों कानूनों को खत्म करना पड़ेगा इसके अलावा और कुछ भी मंजूर नहीं है मुझे जो कहना था वह कह दिया आप लोगों को जो समझना है समझ लो जो होना है वह होकर ही रहेगा ओम तत्सत

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