नमक का दरोगा
अमिताभ ठाकुर को जबरदस्ती रिटायर करना यह बताता है कि
राजनीति मदारी का खेल है
मदारी फ़िल्म का ही डायलॉग है कि राजनीति हमारा फैमिली व्यापार है ।
जब हम सत्ता में रहते हैं तब हम कॉन्ट्रैक्ट देते हैं और जब विपक्ष में होते हैं तब हम कॉन्ट्रैक्ट लेते हैं।
जब सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव आईपीएस अमिताभ ठाकुर को फ़ोन करके धमकाते हैं कि भूल गए उस दिन पार्टी में जब हमारे लोग तुम्हे घसीट कर कमरे में ले गए थे तो हमने ही छुड़ाया था भूल गए ....
ज्यादा अवकात से ऊपर मत उठो अमिताभ ठाकुर नही तो परेशानी में पड़ जाओगे ..
इस पूरी वार्ता में अमिताभ ठाकुर यही कहते रहे कि आदेश करें सर् ..
अमिताभ ठाकुर ने जब इस रिकॉर्डिंग को थाने में पेशकर मुलायम सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया तो भाजपा के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष श्री लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने अमिताभ ठाकुर की घोर आलोचना की और अमिताभ ठाकुर को हद में रहने की नसीहत तक दे दिए....
सोचिये बाजपेयी जी भाजपा में थे लेकिन विरोध अमिताभ ठाकुर का किये ....
सपा सरकार में हमेशा सपा पार्टी के द्वारा किये जा रहे गलत कदमो का उन्होंने भरपूर विरोध किया और जिसके कारण उन्हें बहुत सारी समस्यायों का सामना करना पड़ा....
छात्र हित के लिए हमेशा सत्ता के दुरुपयोग के खिलाफ खड़े रहे और हर मामले में त्वरित प्रतिक्रिया देते रहे ...
2015 में उनकी पत्नी नूतन ठाकुर भाजपा जॉइन कर लेती हैं एक साधारण कार्यकर्ता की तरह , भाजपा उनका कोई स्वागत नही करती है क्योंकि शायद भाजपा को पता था कि भले ही नूतन ठाकुर भाजपा जॉइन कर ली हैं लेकिन इनके पति के ईमानदारी में कोई बदलाव नही आएगा और ऐसे ईमानदार लोग हमारे लिए खतरा होंगे....
यह जनता अच्छे से जानती है क्यों खतरा होंगे..?
फिर 2020 में खबर आई कि नूतन ठाकुर ने आम आदमी पार्टी जॉइन कर ली लेकिन जैसा अमिताभ ठाकुर ने नूतन ठाकुर को भाजपा जॉइन करते समय कहा था वैसा ही उन्होंने उस वक्त भी कहा कि
मैं अपनी निष्ठा को बदल नही सकता आप कोई भी निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है लेकिन मुझसे किसी प्रकार के सहयोग की आशा न करें ....
भाजपा सरकार भी जानती थी कि इस व्यक्ति की कर्तव्यनिष्ठा हमे समस्या में डाल सकती है ।
इसलिए निर्णय लिया गया कि अब इन्हें जबरदस्ती निकाल दिया जाय ......
और निकाल दिया गया....
मुबारक हो अमिताभ ठाकुर जी आप किसी भी कोठे पर नही नाचे .
मुबारक हो आपने जब तक ड्यूटी की सीना ठोंक के किये...
आप न ही अपनी पत्नी के दबाव में झुके और न ही राजनैतिक पार्टियों के दबाव में आये ...
किसी भी राजनैतिक पार्टी के समर्थक व्यक्ति के लिए आप सबसे बुरे व्यक्ति होंगे लेकिन हम जैसे राष्ट्र समर्थक लोगों के लिए आप नमक के दरोगा है .....
भविष्य में क्या होगा नही कहा जा सकता ..
अगर आप राजनीति जॉइन करते हो तो हम आपका पार्टी अनुसार आलोचना या प्रसंशा भी करेंगे लेकिन अगर नही करते तो सोशल मीडिया पर आपकी पत्नी को निशाना बनाकर आपकी छवि को गलत रूप में प्रस्तूत किया जा सकता है,
लेकिन एक अधिकारी के तौर पर आप हम सबके आदर्श हो , हमारे गर्व हो ...और रहोगे
सोशल मीडिया का कोई भी प्रोपेगेंडा हमे आपके चरित्र पर शक करने को मजबूर नही कर सकता...
खैर राजनीति ने फिर साबित किया है कि उसे जनता का नौकर नही बल्कि अपना व्यक्तिगत नौकर चाहिए....
वैसे भी राजनीति में शुचिता के लिए कोई स्थान नही होता...