बचपन की यादें मुझे फिर से बचपन में जाना है एक कविता पूजा सिंह दिल्ली

 मुझे फिर से बचपन में जाना है



वो मोमबत्ती के आगे बैठ

परछाई के साथ खेल खेला करती थी मैं

मुझे फिर से उसी खेल में जाना है


वो पार्क में बैठ झूले का इंतजार किया करती थीं मैं

मुझे फिर से उसी झूले में जाना है


वो फूलों को कर नाखूनों में लगाया करती थी में

मुझे फिर से उसी बचपन में जाना हैं


वो पापा के आने से पहले पढ़ने बैठ जाया करती थीं मैं

मुझे फिर से उसी बचपन में जाना है


मेरा बचपन लौट नहीं सकता

मुझे तेरे को सब बताना हैं


खुशियों के ख्वाबों में

मुझे फिर से झूले में झूलना हैं

मुझे फिर से उसी बचपन में जाना हैं



पूजा सिंह

दिल्ली

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