कहानी-
शीर्षक - नेहा का संघर्ष (शादी से अधिकारी तक)कहानीकार- स्नेहा दुधरेजीया गुजरात
ये कहानी नेहा की है जिसकी बोलती आंखें हर किसी का मन जीत लेती थी। हमेशा हँसने मुसकुराने वाली नेहा सबको हँसाया करती थी।जिंदादिली नेहा के रोम रोम में बसा था।
किसे पता था कि नेहा अपने जीवन में आकाश भर दर्द समेटे हुए है।
वो कभी किसी के सामने में मायूस नही होती थी ना ही कमजोर पड़ती थी। हमेशा हँसती मुस्कुराती रहती थी।
नेहा एक दिन मंदिर जा रही थी वहाँ उसकी नजर एक ऐसे लड़के पर पड़ी जो उसे एकटक निहार रहा था।नेहा ने उसे देखा और अपनी नजरे घुमा ली ,उसे कहा पता था कि वो शक्स उसकी जिंदगी में भूचाल ले आएगा।
नेहा के रास्ते में अक्सर वो लड़का टकराने लगा ,हरबार नेहा बच कर निकलती रही।
एक दिन अचानक लड़के ने मौका पाकर नेहा से कहा मेरा नाम रवि है और मैं तुमसे शादी करना चाहता हूँ।
मैं तुम्हे हररोज आते जाते तुम्हे देखता हूँ तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो।
नेहा को आश्चर्य हुआ उसने कोई जबाव नही दिया ,हररोज की तरह बचकर निकल गई।
रवि हरदिन नेहा का पीछा करता और नेहा को मनाने की कोशिश करता।
एक दिन नेहा का भी ह्रदय पिघल गया वो सोचने लगी कि, शायद रवि ही वो शक्स है जिसकी उसे तलाश थी।शायद किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।
नेहा की रवि से मुलाकात बढ़ती गई।
बातो का सिलसिला शुरू हो गया ।नेहा को पता ही नही चला कि,वो रवि की बातो में फसती जा रही है।
अगले दिन नेहा रवि से मिली और कहा कि,मैं शादीशुदा हूँ मेरी शादी एकबार टूट चुकी है ,मैने घर से भागकर शादी की थी ,उस लड़के ने मुझे बहुत भरोसा दिलाया था कि,वो मुझे खुश रखेगा पर उसने मुझे धोखा दिया ,उसने मुझे छोड़कर किसी और से शादी कर ली।मुझे इतना बड़ा सदमा लगा की मैने आत्महत्या तक करने की कोशिश की थी।
रवि ने कहा मैं तुम्हारे बारे में सब जानता हूँ ,तुम्हारी पिछली जिंदगी से मुझे कोई लेना देना नही,
बस मैं इतना जानता हूँ कि तुम मुझे अच्छी लगती हो और मैं तुमसे शादी कर तुम्हारे साथ जीवन बिताना चाहता हूँ।तुम्हे खुश रखना चाहता हूँ।
रातभर नेहा रवि के बारे सोचती रही ,कि रवि निश्चय ही एक अच्छा लड़का है जो मेरे बारे में सबकुछ जानने के बाद भी मुझसे शादी करना चाहता है।
रवि की बाते सुन नेहा को रवि पर भरोसा हो गया और रवि के बारे में वगैर कुछ पता किये रवि से शादी के लिए तैयार हो गई, और सुबह होने का बेसब्री से इंतजार करने लगी।
अगले दिन नेहा रवि से मिली और मंदिर में रवि के साथ शादी कर ली।
रवि से शादी के बाद नेहा अपनेआप को खुशकिस्मत समझ रही थी ।
पर क्या वाकई रवि एक अच्छा इंसान था? नेहा ने रवि
के बारे में बिना कुछ सोचे समझे रवि से शादी कर ली।
जैसे जैसे दिन बीतने लगा वैसे वैसे रवि की सच्चाई नेहा के सामने आने लगी।
रवि वो रवि था ही नही जिससे वो मिली थी ।
वो रवि शायद कही खो सा गया था।
नेहा बिना कुछ शिक़ायत के साथ रवि के साथ रह रही थी।अपने मन को मार मार कर जी रही थी ।
जिस इंसान ने कभी न रुलाने का वादा किया था आज उसे नेहा कि कोई परवाह ही नही थीं ।
खुद कि किस्मत को कोस कोस कर नेहा रोया करती थी ।
पुरा दिन नौकरी करना शाम को आ कर गालिया सुनना मार खाना यही नेहा कि जिंदगी बन गई थी।
इतना सब सहन करने के बाद भी नेहा उसे छोड़ना नही चाहती थीं।
नेहा को लगता था कि दुसरी बार शादी टुटी तो लोग हँसेंगे।
पर एक दिन ऐसा आया कि , जब नेहा के पास पैसे खत्म होने लगे नौकरी भी चली गई तब जिस रवि ने कभी न छोडने का वादा किया था वो भी छोड़कर चला गया। उस दिन नेहा बहुत-रोई ।नेहा ने रवि से मिन्नते की भगवान के लिए मुझे छोड़कर मत जाओ,लोग मुझपर हँसेंगे ।दुनिया मुझे ताने देगी।
फिर भी रवि नेहा को छोड़कर चला गया।
रवि ने नेहा से सोच-समझकर शादी की थीं ,ताकि नेहा नौकरी कर रवि का खर्च उठाती रहे।
उसने देख लिया था कि, नेहा नासमझ और बेवकूफ लड़की है जो आसानी से बेवकुफ बन जायेगी।
आज रवि के जाने के बाद नेहा जीते जी मर चुकी थीं
पर उसने हिंम्मत नही हारी , फिर से जीने का हौसला अपने अंदर पैदा किया, सोचा कि आज भी जिंन्दा हूँ
इसका मतलब कुदरत को कुछ और ही मंजुर है।
उसने सरकारी नौकरी कि तैयारी शुरु कर दी। पुरी हिम्मत के साथ और मेहनत के दम पर उसने मंजिल हासिल की ।
नेहा आज एक सरकारी अधिकारी है । आज वो अपने सारे गम को भुलाकर जी रही है। एक अनाथ आश्रम को भी चला रही हैं । जब कोई पूछ लेता है कि, आपके दोनो पति ने आप को क्यों छोड़ा तब वो कहती है कि , दोनो का मुझसे कोई साथादेना नही था ।दोनों ने अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए मुझसे शादी की थी।
अब मैं इन बच्चों कि माँ बनकर खुश हूँ ।मेरी जिंदगी अब अनाथ आश्रम के यही बच्चे है।
कहानी में नाम काल्पनिक रखें गये है।