रूस से भारत ने 25% कि अकाउंट पर खरीदा तेल अमेरिका गोराया समझ में आया अमेरिका करें तो रंगीला भारत कारे तो ट्रैक्टर ढीला अचल कुमार जैन

 इंडियन ऑयल ने 3 मिलियन बैरल तेल रूस से रूस की ही मुद्रा रुबेल में खरीद लिया है और अमेरिकी प्रतिबंधों की अनदेखी कर दी है। अब हुआ वही जिसका डर था अमेरिकियों ने भारत पर प्रतिबंध लगाने की मांग शुरू कर दी।

आपको याद होगा जब डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति थे तब अमेरिका ने भी तेल उत्पादन शुरू कर दिया था जिसकी वजह से सप्लाय बढ़ गयी और दाम कम हो गए। लेकिन फिर जो बाइडन आ गए जिन्होंने तेल उत्पादन को पर्यावरण विरोधी बताकर उत्पादन रोक दिया और जैसे ही सप्लाय कम हुई दाम बढ़ गए।


अब इन्होंने रूस पर भी प्रतिबंध लगा दिए अर्थात सप्लाय फिर कम होगी और तेल के भाव 200 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकते है। भारत मे महंगाई आसमान पर आ जायेगी, रूस का तेल बिक नही रहा इसलिए उसने भारत को बढ़े डिस्काउंट पर ऑफर दे दिया।


भारत की विदेश नीति एकपक्षीय प्रतिबंधो को नही मानती वह सिर्फ संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध मानती है। ये नीति नेहरूजी के चुनिंदा अच्छे निर्णयों में से एक थी।


आज की स्थिति में भारत के पास दो विकल्प थे रूस से तेल खरीदकर अमेरिका और यूरोप को नाराज करे या फिर तेल ना खरीदकर महंगाई बढ़ने दे। मोदीजी ने पहला विकल्प चुना।


अमेरिका में फिर वही लाइन दोहराई गयी हमारा सबसे खास सहायक भारत धोखा दे रहा है। लेकिन अमेरिकियों को समझना होगा कि दोस्ती दोनो ओर से होती है आपको भी हमारी मजबूरी समझनी होगी। एक बात और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोई दोस्ती ही नही होती, अमेरिका और भारत कागजो पर खुद को भाई मानते है लेकिन भारतीयों को अमेरिका पर और अमेरिकियों को भारत पर कोई ट्रस्ट नही है।


दोनो देशो में मेरे जैसे 2-4 लोग ही है जो परस्पर दूसरे देश के प्रति भाईचारा मांगते हो। अब रूस की बात करते है तो यूक्रेन भारत का एक अच्छा दोस्त तो था लेकिन इस दोस्ती की कीमत 25% डिस्काउंट से ज्यादा तो कतई नही थी। रूस यूक्रेन को काटे फाड़े मगर जब तक ट्रम्प चाचा वापस नही आते हमे रूस से सस्ता तेल चाहिए यहाँ मानवीय मूल्यों की कोई जगह नही है।


रूस के लोगो के मन मे इस समय भारत के लिये जो प्यार होगा उसकी आप कल्पना भी नही कर सकते, और करना भी मत क्योकि वहाँ लोकतंत्र तो है ही नही जनता की राय का हम क्या करेंगे लेकिन कही ना कही हमने 1971 के अहसान का बदला तो उतार दिया जो रूस के पिता सोवियत संघ ने हम पर किया था। 6 बार की वीटो का कर्ज भी हम जल्द ही उतारेंगे।


मैं व्यक्तिगत स्तर पर रूस का समर्थक नही हु क्योकि मैंने रूस का खूनी इतिहास पढ़ा है। रूस के लोग एक कैंसर की तरह है जिन्होंने पूरी दुनिया मे कम्युनिज्म का जहर फैलाया है, लेकिन जब बात तेल पर 25% छूट की है तो आई लव रशिया एंड आई लव रशियन्स।


#साभार#

अचल कुमार जैन

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