कोर्ट का आदेश... ज्ञानवापी के मौलानाओं में भयंकर घबराहट फैली
- काशी में ज्ञानवापी का विवाद अब एक अहम मोड़ पर आ खड़ा हुआ है । काशी की अदालत ने आदेश दिया है कि ईद के बाद और 10 मई के पहले ज्ञानवापी ढांचे की वीडियोग्राफी करवाई जाएगी ।
-ये आदेश तो काशी के सेशन कोर्ट ने पहले ही दिया हुआ था । लेकिन मौलानाओं की डरी हुई ब्रिगेड सीधे इलाहाबाद हाईकोर्ट भागी ताकी निचली अदालत के फैसले पर रोक लगाई जा सके लेकिन लखनऊ कोर्ट ने निचली अदालत यानी काशी कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा जिसके बाद मौलानाओं को और ज्यादा घबराहट हो गई
-इस्लाम में वाद विवाद का कोई स्थान नहीं होता है । किसी भी सवाल के जवाब में मुसलमान नंगी तलवारें आगे कर देते हैं । दरअसल उनका धर्म इतना अतार्किक और कमजोर है कि उसकी सुरक्षा के लिए तलवार एक अनिवार्य आवश्यकता होती है । उनको ये डर हमेशा रहता है कि कहीं उनका मजहबी खोखलापन सबके सामने ना आ जाए इसलिए उनकी ये रणनीति होती है कि लोगों को धमकाओ और गर्दनें काटने की धमकी दो । दरअसल उनकी इस उग्रता की मूल वजह उनका भय ही है ।
- अब ज्ञानवापी का वो ढांचा जो पहले काशी विश्वनाथ मंदिर का ही हिस्सा था और जिसे औरंगजेब के आदेश पर ध्वस्त कर दिया गया था । आज कल इस्लामी समाज के गले की नई हड्डी बन चुका है अब ये तो सर्विविदित है कि काशी विश्वनाथ मंदिर के ही स्तंभ ज्ञानवापी में लगे हुए हैं । तस्वीरों की रिकॉर्डिंग दुनिया के सामने आएगी तो मौलानाओं के साथ साथ इस्लामियों के द्वारा की गई भयंकर तोड़फोड़ और पुरातन गुंडारर्दी का भी खुलासा हो ही जाएगा यही वजह है कि ज्ञानवापी के मौलानाओं को काफी डर लग रहा है । उनको पता है कि उनकी पोल खुलने वाली है ।
-इसीलिए अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने वीडियोग्राफी कराए जाने के फैसले का विरोध जताया है। अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के जॉइंट सेक्रेटरी सैयद मोहम्मद यासीन ने कहा है कि वो मस्जिद के अंदर किसी भी गैरमुस्लिम को प्रवेश ही नहीं करने देंगे । जिसको भी वीडियोग्राफी करनी है वो सिर्फ श्रृंगार गौरी के मंदिर तक ही आ कर वीडियोग्राफी कर ले... मस्जिद के अंदर ना घुसें
-कोर्ट की अवमानना करते हुए उस मौलाना ने ये भी कहा है कि वो कोई भी परिणाम भुगतने को तैयार हैं ! अदालत से हम सभी की अपील है कि ऐसे मौलाना पर अवमानना की बेहद सख्त कार्रवाई की जाए पुलिस प्रशासन से हमारी अपील है कि अदालत के आदेश को लागू करवाया जाए !
- और सबसे बड़ा नोट करने वाला पॉइंट यह है कि एक बार फिर यही बात सही साबित हो रही है कि खुद को मर्दे मोमिन कहने वाले कायर-ए-मोमिन हैं । क्योंकि उनके मजहब की नींव बहुत कमजोर है ।
धन्यवाद
भारत माता की जय
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