अगर सेठ चौधरी छाजूराम जी लाम्बा न होते तो रहबरे आज़म चौधरी छोटूराम भी न होते
|चौधरी छाजूराम जी सिर्फ चौधरी छोटूराम के ही " गॉड फादर " नहीं , वह जाट किसान कौम के गॉड फादर थे , वह देश के आज़ादी आन्दोलन के हर क्रन्तिकारी के गॉड फादर थे | चौधरी छोटूराम के गॉड फादर थे तो जाहिर है यूनियनिस्ट पार्टी की रीढ़ थे | उस वक्त में शिक्षा की एहमियत को समझा और हमारे लोगों के लिए जाट शिक्षण संस्थाएं खुलवाई | वरना तो शिक्षा सिर्फ एक वर्ग तक ही सिमित थी |जिस भरतपुर रियासत पर जाट नाज करते हैं , एक बार जब वह आर्थिक घाटे में थी उसको सेठ छाजूराम ने 2 लाख रूपये की आर्थिक सहायता प्रदान कर उभारने में मदद की | शहीदे आज़म भागत सिंह जब फरारी पर कलकत्ता गए तो सेठ जी की ही कोठी पर ठहरे थे और उसके बाद सेठ जी ने उन्हें कलकत्ता में ही खुद के द्वारा बनवाए आर्य समाज मंदिर में शिफ्ट कर दिया | 10 जाट पलटन जो कलकत्ता में पोस्टेड थी उसके जवानों ने बगावत कर दी थी और बगावत का कारण सेठ जी की कोठी थी | पलटन के जवान सेठ जी की कोठी पर हुक्का पीने आते थे और सेठ जी की कोठी पर आज़ादी आन्दोलन के क्रन्तिकारी आते जाते रहते थे जिनका प्रभाव इन जवानों पर पड़ा पर इनके इस बगावत की मुखबरी हो गई इस लिए अंजाम नहीं दे पाए | इतना बड़ा दानवीर शिरोमणि कि जिसके नाम पर कहावत बन गई थी कि ईसा के अलखपुरिया छाजूराम सै |
सोचने वाली बात है कि इतनी बड़ी हस्ती , जिसने सबको दिया ही दिया पर बदले में इनको क्या दिया ?