मीडिया जगत मैं बढ़ रही है महिलाओं की धमक डॉ दीपक आचार्य

 प्रकाशनार्थ आलेख


मीडिया जगत में छायी है आधी दुनिया की चमक-दमक और धमक



विस्तार पाता जा रहा है महिलाओं का मीडिया के प्रति रुझान

डॉ. दीपक आचार्य

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आधी दुनिया अब समाज-जीवन और परिवेश से लेकर राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सभी क्षेत्रों में अपनी धाक जमाने लगी है। महिलाओं की मीडिया से जुड़े विभिन्न आयामों में सहभागिता का ग्राफ उत्तरोत्तर विस्तार पाता जा रहा है। 

न केवल प्रिन्ट और इलेक्ट्रॉनिक बल्कि साईबर, वैब और सोशल मीडिया से लेकर हर तरह के संचार माध्यमों के जरिये महिलाएं अपनी प्रतिभाओं का लोहा मनवा रही हैं। यह स्थिति समाज और देश के लिए शुभ संकेत है और इसका असर ये हो रहा है कि कई अनछूए पहलू उजागर हो रहे हैं। 

इससे सामाजिक बुराइयों, सम सामयिक हलचलों और सायास आवरित मुद्दों का सार्वजनीन प्राकट्य हो रहा है। और यह सब देश-दुनिया के व्यापक हित में होने के साथ ही पारदर्शी वातावरण को और अधिक स्थापित एवं सुदृढ़ किए जाने की दिशा में बेहतर कदम है। 

एक तरफ महिलाओं की मीडिया में भागीदारी बढ़ रही है, दूसरी तरफ सभी श्रेणी के मीडिया क्षेत्रों में महिलाओं से जुड़े विषयों, समाचारों और विश्लेषणों, फीचर्स, साहित्य आदि की संख्या भी अप्रत्याशित रूप से बढ़ी है। इससे महिलाओं में भी मीडिया के प्रति विश्वास में अभिवृद्धि हुई है और यह निष्कर्ष उभरा है कि मीडिया और महिलाएं पारस्परिक सामूहिक उन्नति की दिशा में तेजी से अग्रसर हैं। 

मीडिया के माध्यम से महिलाओं के अधिकारों से सम्बधित जानकारी और वैश्विक माहौल में हो रहे परिवर्तनों से संबंधित प्रकाशन-प्रसारण से भी महिलाओं के ज्ञान में अपरिमित वृद्धि हुई है और वे अपने अधिकारों के प्रति पहले से अधिक सजग भी हुई है। 

बड़े शहरों में महिलाओं की मीडिया के प्रति लगाव और इसमें भागीदारी अधिक संख्या में है लेकिन छोटे शहरों में अभी भी महिलाओं की सहभागिता मीडिया के क्षेत्र में काफी कम है। इस दिशा में अभी और अधिक जागरुकता संचार के साथ ही कर्मयोग के प्रति स्वातंत्र्य देने की आवश्यकता है ताकि बंधे-बंधाये ढर्रों से मुक्ति पाकर इस दिशा में बिना किसी बाधा के महिलाओं की अधिकाधिक एवं अपेक्षित भूमिका सामने आ सके। 

ख़ासकर कस्बाई इलाकों और छोटे शहरों में मीडिया के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए अभी बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है। आज के युग में महिलाओं में शिक्षा और वैश्विक चिन्तन के प्रति जागृति बढ़ने से समाचार पत्रों और पत्रिकाओं से लेकर मीडिया के हर माध्यम के प्रति महिलाओं की सोच में बदलाव आया है एवं वे मीडिया के क्षेत्र में अपनी सशक्त भागीदारी निभा रही हैं। 

मीडिया में काम करने वाली युवतियों के धारदार अभिव्यक्ति कौशल, तर्क क्षमता और प्रभावों को देखकर अब यह लगने लगा है कि ये महिलाएं इस मामले में पुरुषों से भी कहीं आगे निकलती जा रही हैं। 

मीडिया के माध्यम से महिलाओं के पारिवारिक एवं सामाजिक उत्थान तथा लोक जीवन में प्रतिष्ठा को भी सम्बल मिला है और यही कारण है कि मीडिया जगत के प्रति महिलाओं में क्रेज अब लगातार बढ़ता जा रहा है। 

हाल के वर्षों में आए इन्हीं व्यापक बदलावों का ही परिणाम है कि केन्द्र और राज्यों में सूचना एवं दूरसंचार सेवाओं, जनसम्पर्क सेवाओं, राजकीय प्रकाशनों में संपादन, लेखन और इनसे जुड़े क्षेत्रों में अधिक सहभागिता और रोजगार का सुन्दर परिदृश्य दिखने लगा है। ये स्थितियां समाज, क्षेत्र और देश के लिए सुखद एवं सुकूनदायी हैं। 

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संलग्न - संदर्भित 2 फोटो 

- डॉ. दीपक आचार्य,

पूर्व संयुक्त निदेशक-

(सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, राजस्थान)

निवास - 35, महालक्ष्मी चौक,

बांसवाड़ा - 327001

(राजस्थान)

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